भोपालपटनम . विनोद कुमार/प्रमोद साहू । धुर नक्सल इलाके बीजापुर को भोपालपटनम होकर वारंगल (तेलंगाना) तक टू-लेन नेशनल हाईवे-163 अाजादी के 70 साल बाद बनना शुरू हुअा, सड़क की चौड़ाई निकालकर डब्ल्यूबीएम रोड तैयार भी कर ली गई। केवल डामरीकरण बचा था, लेकिन दो साल से एक अजीबोगरीब उलझन में निर्माण फंस गया है। दरअसल बेहद घने के बीचोबीच से गुजर रही इस सड़क को बनाने के लिए सैकड़ों पेड़ काटे गए हैं। इस वजह से पर्यावरण विभाग ने महाराष्ट्र के ठेकेदार पर 35 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया था। ठेका एजेंसी पैसे पटाने के लिए तैयार है, लेकिन शर्त है कि जुर्माना शब्द हटाकर हर्जाना कर दिया जाए। पर्यावरण विभाग इसके लिए तैयार नहीं है। इस विवाद में दो साल से काम शुरू नहीं हो पा रहा है। यह सड़क प्रदेश में बीजापुर जिले के सीमावर्ती कस्बे भोपालपटनम से शुरू होकर 36 किमी दूर वारंगल तक बन रही है। धुर नक्सल प्रभावित और बेहद घने जंगलों से गुजरनेवाली इस सड़क पर 25 से ज्यादा छोटे पुल और 3 बड़े ब्रिज बने हैं। सड़क की पूरी संरचना बन चुकी है। गिट्टी और मुरुम की परतें बिछाकर डब्लूबीएम का काम हो चुका है। सारे पुल-पुलिया बन चुके हैं।
केवल डामरीकरण बाकी था, तभी लगभग एक साल पहले ठेका कंपनी पर प्रदेश के पर्यावरण विभाग ने पेड़ कटाई के लिए 35 करोड़ रुपए का जुर्माना कर दिया। इस नोटिस के बाद से काम जो बंद हुअा तो अब तक शुरू नहीं किया जा सका है।
जुर्माने का आशय अपराध से है, इसलिए हर्जाने पर अड़ी एजेंसी : सड़क का निर्माण महाराष्ट्र की कंपनी कर रही है। भास्कर टीम को निर्माण साइट पर कंपनी से जुड़े अफसरों ने सुरक्षा कारणों से नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पेड़ों की कटाई सड़क की चौड़ाई के लिए की गई। इसकी जानकारी सभी को है। कंपनी 35 करोड़ रुपए अदा करने को तैयार है, लेकिन यह अदायगी जैसे ही जुर्माने के नाम पर होगी, यह तय हो जाएगा कि उनसे अपराध हुअा है। ऐसे में उन्हें इस अपराध के दोषी भी सामने लाने होंगे, जबकि दोषी कोई नहीं है। अगर जुर्माना शब्द को बदलकर हर्जाना किया जाता है तो यह तकनीकी दिक्कत नहीं रहेगी और कंपनी अासानी से 35 करोड़ रुपए ट्रांसफर भी कर सकती है। कंपनी के लोगों ने कहा कि नोटिस में काम बंद करने के निर्देश थे, इसलिए काम रोका गया है।
नहीं चलती से बड़ी गाड़ियां, बाइक से सफर : ग्रामीणों ने बताया कि जंगल के बीच कच्ची सड़क थी। इसमें बड़ी गाड़ियां नहीं चलती है। बाइक या ट्रैक्टर ही चल रहे थे, जबकि कागजों पर यह बरसों से नेशनल हाइवे है। बारिश में यहां छत्तीसगढ़ और तेलंगाना का संपर्क कटा रहता है, क्योंकि 25 नाले और 3 नदियां हैं। सड़क बनने से यह सफर अासान होने लगा है। यहां ट्रैफिक शुरू होने के बाद भोपालपट्नम से हैदराबाद की दूर मात्र 334 किमी हो जाएगा, अर्थात भोपालपट्नम से हैदराबाद पहुंचने में केवल 6 घंटे लगेंगे। रायपुर से इस सड़क मार्ग का इस्तेमाल करते हुए लगभग 14 घंटे में हैदराबाद पहुंचा जा सकेगा।
इंद्रावती पर सबसे लंबा 800 मीटर का तिमेड़ पुल तैयार, उद्घाटन का इंतजार : भोपालपट्टनम छत्तीसगढ़ में ऐसी जगह पर है, जहां दो राज्यों महाराष्ट्र और तेलंगाना की सीमाएं बिलकुल नजदीक हैं। इसी में महाराष्ट्र को जोड़ने के लिए विशाल इंद्रावती नदी पर 800 मीटर लंबा तिमेड़ पुल लगभग 8 साल में बनकर तैयार हो गया है। इसका उद्घाटन फरवरी में करने की तैयारी है।
अभी एक बस, निर्माण शुरू होते ही 12 एसी बसों के परमिट की अर्जियां : अभी बीजापुर से भोपालपटनम होकर वारंगल और हैदराबाद के लिए एक ही बस चल रही है। जैसे ही इस सड़क का निर्माण शुरू हुअा है, ट्रांसपोर्टरों ने एसी बसें चलाने के लिए परमिट के 12 आवेदन लगा दिए हैं। सारे आवेदन भी काम बंद होने के कारण एक साल से लंबित हैं क्योंकि ट्रांसपोर्टर भी सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं। इन अावेदनों में नागपुर के लिए सीधी बस की अर्जी भी है।
मामला सुलझा, अप्रैल से काम शुरू
जुर्माने के किसी पेंच की वजह से सड़क का काम दो साल से बंद था। लेकिन हमें बताया गया है कि यह मुद्दा सुलझा लिया गया है। अप्रैल से सड़क का काम दोबारा शुरू किया जाएगा और बारिश से पहले पूरा हो जाएगा। -पी. सुंदरराज, प्रभारी आईजी बस्तर
दो साल से सिर्फ चल रही चिट्ठियां
एनएचआई को हर्जाने का नोटिस दिया गया था। इस मामले में नेशनल हाईवे और ठेका कंपनी के बीच दो साल से चिट्ठी-पत्री ही चल रही है, इसलिए काम बंद है। जबकि सड़क पर केवल डामरीकरण (बीटी) ही बाकी है। -दिनेश कुमार साहू, डीएफओ बीजापुर